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Category: प्रेम

ना मै तब रोया, ना अब रोया..

ना मै तब रोया, ना अब रोया..

पट पड़ी है भोर द्वार पर, पथ सारे उजले;रविकिरण से सौरभ सौरभ, यह नभ थल;तव स्मृतिपुर्ण थी बीती रजनी,ना मैं तब सोया, ना अब सोया।। अब यहां बाग़ फूलों से खिल उठे है,पंछी मधुर चहचहाते है,वीरान था ये मोड़ कभी, मै जहां तेरे प्रतीक्षा में रहा,ना तुम तब आयी, ना अब आयी।। मैं सब कुछ पा गया, एक तुझे छोड़कर,अब हर महफ़िल मेरी बात करे,कुछ दुख तो था तेरे जाने का,पर ना मै तब रोया, ना अब रोया।।

अक्स – ऐ – मोहब्बत

अक्स – ऐ – मोहब्बत

सारे ज़माने का नशा तेरी झील सी आंखों में है,हमारा जीना – मरना सब, तेरी महकती सासो में है; बेरंग सी जिंदगी हमारी क्यो?, पुछा जब फरिश्तों से,जवाब आया की, दुनिया में रंग भरने का कारोबार तेरे हाथो में है; सूरज भी रोशन है, तेरे चेहरे के नूर से,ये राते काली तेरे घने काले बालों से है; ये बारीश तो बस नाम की है, तूने झटक दिए होंगे गीले बाल कहीं,तेरे लगाएं इत्र की खुशबू, बह रही इन हवाओं में…

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अगर मै इज़हार कर देता….

अगर मै इज़हार कर देता….

यू गुमनाम ना होता, किसी तारीफ का मोहताज ना होता;किस्से हमारे भी सुने जाते, शहर में मशहूर हो जाते;फिर कोई ग़म ना होता, ना टिस दिल में होती;वो भी मशहूर हो जाते, अगर मै इज़हार कर देता।। यू तनहा ना रह जाता सफ़र जिंदगी का;हमसफ़र कोई साथ हमारे होते;बहारो से भरा होता, रास्ता यू वीरान ना होता;वो भी मुसाफ़िर हो जाते, अगर मै इज़हार कर देता।। दोस्त हमसे नाकामी-ऐ-इश्क का सबब पूछते हैं;अब महफ़िल में दिलो के बताएं राज़ क्या;मिजाज़…

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