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Category: राष्ट्रप्रेम

आओ! मातृ-भूमि की व्यथा सुनाऊं

आओ! मातृ-भूमि की व्यथा सुनाऊं

पहले कुछ गोरो ने, नंदनवन उजाड़ दिया;समृद्ध आर्यावर्त का, रत्नमुकुट उतार लिया;खींची लकीर, दामन भारत माता का फाड़ दिया;यह दुखद कथा है, सतलुज में लाशो के बहजाने की;युग-जननी की खंडित मुरत तुम्हें दिखाऊ;आओ! मातृ-भूमि की व्यथा सुनाऊं||1|| वो कुछ ना खो कर भी, जो बलिदानी है;उनके वंशज आज, घनघोर अहंकारी है;जो बलिदानी प्राणो के, उन विरो का ना जय गान किया;चाटुकार कलमो ने, ना सच्चा इतिहास लिखा;तुम्हें असल इतिहास का राज़ बताऊ;आओ! मातृ-भूमि की व्यथा सुनाऊं||2|| अब वह अपमानित अपने…

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युग-पुरुष भारत

युग-पुरुष भारत

सहस्त्र युगों का इतिहास अमर है,सभ्यता का यही प्रथम विस्तार हुआ,जन्मी संस्कृति इसी धरा में,वेदों का यही निर्माण हुआ,यह महाकाल का तांडव है, कोई नृत्य नहीं,युग-पुरुष है, भारत कोई भूखंड नहीं।। ये कोई संजोग नहीं,हा यही राम – कृष्ण अवतार हुए,आज जिस बोध को जग है ढूंढ रहा,यही बुद्ध को आत्मबोधी ज्ञान हुआ,सबकुछ त्याग जिन्होंने अहिंसा का मार्ग दिया,वह केवल ज्ञानी यही वर्धमान हुए,प्रभु भक्ति का दिव्य उदाहरण,यही राम भक्त हनुमान हुए।। हम चरक, हमने आयुर्वेद दिया,सुश्रुत बन, शल्य चिकित्सा…

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यह देश हम सबका है..

यह देश हम सबका है..

तुम्हारे इस उत्पात में,तुम्हारा अज्ञान, तम, राजनैतिक स्वार्थ,सब समाहित है,तुम्हारे इस राष्ट्र – द्वेष में,तुम्हारा ही अहित समाहित है।।1।। किस बात का दंभ तुम्हे,व्यर्थ ही का है घमंड तुम्हे,मिले समय तो, इतिहास का दर्पण देखो,अपने जग – उपेक्षित पूर्वजों का ध्यान करो,जिस भूमि ने आश्रय दिया, उसका तो लिहाज करो।।2।। सरहद पार से आए आदेशो का,शब्दशः अनुपालन जो करते,इंकलाब के नारों पर, जो झंडा पाक का फैराते,इस फूलों की बगिया में, येसे बबूल ना फलने देगे,संघर्ष तो बस इसी बात…

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एक बार फिर से प्रतिशोध चाहता है देश

एक बार फिर से प्रतिशोध चाहता है देश

विकट हैं वक्त, विलाप कर रही मां भारतीअपनों के विच्छेदित शव समेट रहा है देशमातृ भूमि के विरो संग न्याय होना चाहिएहर एक शहादत का हिसाब चाहता है देशएक बार फिर से प्रतिशोध चाहता है देश।।1।। साबुत गए थे जो, खंड विखंड हो आऐ हैंक्षित विक्षित पुत्र का अंतिम दर्शन चाहती हैं मांचलना सिखाया जिसे, उसिकी अर्थी को कंधा दे रहा पिताशत्रुओ के घर भी मातम चाहता है देशएक बार फिर से प्रतिशोध चाहता है देश।।2।। उजड़ी हुई मांगो का,…

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शौर्य कहा से लावोंगे

शौर्य कहा से लावोंगे

जो तुम्हारे खून में नहीं,तुम वो खुद्दारी कहा से लावोगे,ले आवोगे तुम, लाखो आतंक परस्त माना,पर हमसा राष्ट्रप्रेमी कलाम कहा से लावोगे।। तुम लिए कटोरा हाथ,जगभर में हो भीख मांग रहे,माना कि, चरित्रहीन जिन्ना, तुम ले आवोंगे,पर हमसा दिलेर भगत सिंह कहा से लावोगे।। जो हमने तुमको दी ही नहीं,राणा की, तुम वो तलवार कहा से लावोंगे,अपने विदेशी बापो से,तुम शस्त्र भलेही ले आओ,पर शेरों से लडने का, शौर्य कहा से लावोंगे।।पर शेरों से लडने का, शौर्य कहा से लावोंगे।।