हमने देखा है…
लिखूंगा किताब अगर ज़िंदगी पर,तो लिखूंगा, हमने दौर ऐसा भी देखा है।। हवा के होते हुए,बीन हवा के इंसान मरते देखा है।। जो कभी वीरान पड़े रहते थे,उन शमशानों में लाशों का ढेर लगा देखा है।। दारू तो हर कही मील रही थी,दवा का कलाबाजार होते देखा है।। इंसानी मौते तो बहुत देखी,मगर इंसान के कंधो पर,इंसानियत का जनाजा पहली बार देखा है।। दब जाती थी आह मरने वालो की,चुनावों का ऐसा शोरगुल देखा है;वो तकरीर ही इतनी आला करता…