जिंदगी

जिंदगी

बेघर होना, अपनो से बिछड़ जाना,
गांव से कूच कर शहर को आना,
रोज़ी की तलाश में, दर-दर भटकना,
और रोटी के लिए मर जाना,
मजदूर के लिए, एक वनवास है जिंदगी।।

कर्ज लेकर फसल लगाना,
कभी फसल का बर्बाद हो जाना,
जो अच्छी हुई, तो कौड़ी मोल बीक जाना,
घाटे में रहकर भी, बैंक का कर्ज चुकाना,
किसान के लिए, ना उतर सके वो उधार है जिंदगी।।

भरपेट खाना, फिर वॉक पर जाना,
लाखो कनामा, फिर भी नींद का ना आना,
अंग्रेजी पीना, हर दिन मौज मानना,
देश के पैसे चुराना, फिर विदेश भाग जाना,
धन्ना सेठों की तो स्वर्ग है जिंदगी।।

हर दिन दल बदलना,
जनता को बेहिसाब चुना लगाना,
देश को बाटने की तरकीब लगाना,
भष्टाचार के पैसों से मलाई खाना,
नेताओ की तो बेमिसाल है जिंदगी।

सीमाओं की सुरक्षा में डटे रहना,
कभी गोली, कभी पत्थर के घाव सहना,
दुश्मन से हर मोर्चे पर लड़ना,
देश के लिए जीना, देश के लिए ही मर जाना,
सैनिकों के लिए तो बस शहादत है जिंदगी।

कभी उदास है जिंदगी,
कभी खूबसूरत एहसास है जिंदगी,
उम्मीद पर ही कायम है दुनिया,
कभी सच्ची तो कभी झुटी आस है जिंदगी।।

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