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Category: हिंदी कविता

रातभर जागकर भी..

रातभर जागकर भी..

रातभर जागकर भी, मैं क्या जागता हूं, जिंदगी आगे और मैं पीछे भागता हूं, कुछ है भी, कभी कुछ भी नहीं है, रास्ता है बस, कोई मुकाम थोड़ी है।। वक्त ने बोहत कम आका था हमे, अपनी बुराईयों का पता था हमे, तुम आओ और तारीफ करो हमारी, तुमसे ऐसी, कोई गुज़ारिश थोड़ी है।। सब पता है हमे, की करना क्या है? फिर सोचता हूं की ये मसला क्या है? हम ही काफी है, हमे बरबाद करने को, हमे किसी…

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प्रार्थना

प्रार्थना

कर दो बेड़ा पार प्रभुजी, यह रोग विकट विपदा, हम पर संकट अती भारी, यही काज आए शरण तुम्हारी, हे! गोविंद, फ़िर उड़ा दो अबीर गुलाल, कर दो बेड़ा पार प्रभुजी।। जो निसहाय, निज घर लौट रहे, उनको संबल, सुरक्षा दो, करो कृपा कुछ ऎसी, भुख़ से कोई प्रण न जाए, मनुज – मनुज का भेद मिटा दो, हे! गोविन्द, फिर से कोई माया कर दो, कर दो बेड़ा पार प्रभुजी।। तुम सदय सदा, निज भक्तन हितकारी, तुमही द्रोपदी का…

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जिंदगी

जिंदगी

बेघर होना, अपनो से बिछड़ जाना, गांव से कूच कर शहर को आना, रोज़ी की तलाश में, दर-दर भटकना, और रोटी के लिए मर जाना, मजदूर के लिए, एक वनवास है जिंदगी।। कर्ज लेकर फसल लगाना, कभी फसल का बर्बाद हो जाना, जो अच्छी हुई, तो कौड़ी मोल बीक जाना, घाटे में रहकर भी, बैंक का कर्ज चुकाना, किसान के लिए, ना उतर सके वो उधार है जिंदगी।। भरपेट खाना, फिर वॉक पर जाना, लाखो कनामा, फिर भी नींद का…

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अरमान क्या है…

अरमान क्या है…

हर नजरा बदल जाए, वो मेरे हक से चले अगर, अपने हिसाब से जी लू जिंदगी, बस पुछ लो वक्त से, उसकी रजा क्या है।। खुद मर भी जाओ तो गम क्या होगा, मर जाए सपने अगर दोस्तो, मत पूछिए फिर, हाल-ऐ-दिल क्या है।। नींद बमुश्किल भी नहीं आती, कुछ है जो रात भर जागता है, पुछु किस से, इस मर्ज की दवा क्या है।। कोशिश अब भी जारी है, उन्हें पाने की, हर राज़ बता दू दिल का, मगर…

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शब्द

शब्द

शब्द ही शर[1] है,शब्द ही फूल,कभी शूल[2] तो,कभी निश्चय का मूल।।1।। शब्द ही अवि[3] है,शब्द ही अरि[4],कभी अवी[5] तो,कभी चंद्र की ओज।।2।। शब्द ही फल है,शब्द ही पेड़,कभी उत्सव तो,कभी नीज का शोक।।3।। शब्द ही सीमा,शब्द ही संवेग,कभी सुख तो,कभी नीज़ का शोध।।4।। शर : तीर, बाण शूल : कांटा अवि : रक्षक, स्वामी अरि : शत्रु अवी : सूर्य